Red Fort -
लाल किला (Lal Qila)
By: Faiz Alam
भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित लाल किला (Lal Kila) देश की
आन-बान शान और देश की आजादी का प्रतीक है। मुगल काल में बना यह ऐतिहासक स्मारक विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल है और भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।
दिल्ली में घूमने के लिए कई जगह हैं उन्ही
में से एक आकर्षण का केंद्र है लाल किला। भारत में मौजूद सभी किलों में से लाल
किला सबसे ज्यादा मशहूर है। देश विदेश से लोग इस किले को देखने के लिए आते हैं।
अगर आप भी दिल्ली के लाल किले को घूमने जाना चाहते हैं तो पहले इस पोस्ट को ध्यान
से पढ़ें
Red Fort |
लाल किला किसने बनवाया था – Who Built Red Fort
लाल किले का निर्माण 1648
में पाँचवे मुगल साम्राज्य शाहजहाँ ने अपने महल के रूप में बनवाया था।
लाल किले को आर्किटेक्ट उस्ताद अहमद लाहौरी ने डिजाईन किया था,
और उन्होंने ने ही ताज महल का भी निर्माण किया था।
लाल किले का निर्माणकार्य 13
मई 1638 को
शुरू हुआ था। और शाह जहाँ के नियंत्रण में इसका निर्माण कार्य 1648
में पूरा हुआ। दुसरे मुगल किलो की तरह ही इस किले की सीमा पर बनी
दीवारे भी सलीमगढ़ किले की तरह असममित ढंग से बनी हुई है।
लाल
किला की बनावट – Red
Fort Architecture
लाल किला दिखने में बेहद आकर्षक लगता है।
यह किला दिल्ली की शान है। लाल किले को अष्टकोणीय आकार में बनाया गया है। इस पूरे
किले पर संगमरमर से सजावट की गई है। कोहिनूर हीरा कभी इस किले की सजावट का हिस्सा
हुआ करता था लेकिन भारत में कब्ज़ा करने के बाद इसे अंग्रेज ले गए। लाल किले के
अंदर तीन द्वार हैं और यह किला दिल्ली के सबसे बड़े किलों में से एक है।
Lal Qila |
लाल किला कब और किसने बनवाया और
इसका इतिहास-
राजधानी
दिल्ली में स्थित भारतीय और मुगल वास्तुशैली से बने इस भव्य ऐतिहासिक कलाकृति का
निर्माण पांचवे मुगल शासक शाहजहां ने करवाया था।
विश्व
धरोहर की लिस्ट में शामिल दुनिया के इस सर्वश्रेष्ठ किले के निर्माण काम की शुरुआत मुगल सम्राट शाहजहां द्धारा 1638 ईसवी में करवाई गई थी। भारत के इस भव्य लाल किले का
निर्माण काम 1648
ईसवी तक करीब 10 साल तक
चला।
लाल किला की वजह से दिल्ली को शाहजहानाबाद कहा जाता था। शाह जहाँ के शासन काल में लाल किला उनके शासनकाल की रचनात्मकता का
प्रतिक था। शाह जहाँ के बाद उनके उत्तराधिकारी औरंगजेब ने कृत्रिम मोतियों से बनी
मस्जिद का निर्माण करवाया था, साथ ही औरंगजेब ने प्रवेश द्वार में भी काफी बदलाव
किये।
मुगल साम्राज्यों द्वारा किये गये किलो के
निर्माण का औरंगजेब ने काफी पतन किया। 1712 में जब जहंदर शाह ने लाल किले को हथिया
लिया था तब तक़रीबन 30 सालो
तक लाल किला बिना शासक के था, लेकिन शासनकाल के लागु होने के एक साल पहले ही शाह
जहाँ की हत्या हो गयी और उनकी जगह फर्रुख्सियर ने ले ली।
1719 में
लाल किले को रंगीला के नाम से प्रसिद्ध मुहम्मद शाह ने अपनी कलाकृतियों से सजाया। 1739 में पर्शियन
शासक नादिर शाह ने मुगल सेना को परास्त किया लेकिन तीन महीने बाद ही वे वापिस लौट
गए, जाने
से पहले उन्होंने मुगल शहरो को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया था। इस तरह से मुगल
शासको के आंतरिक रूप से कमजोर होने के कारण ही शाहजहानाबाद का नाम दिल्ली पड़ा और 1752 में उन्होंने
मराठाओ के साथ दिल्ली की सुरक्षा का समझौता कर लिया।
1758 में
मराठाओ ने लाहौर पर विजय हासिल की और 1760 में मराठाओ ने राजस्व बढ़ाने के लिये
दीवान-ए-खास की चाँदी की छत को हटा दिया, 1761 में जब मराठा पानीपत की तीसरी लढाई में
हार गए थे तब अहमद शाह दुर्रानी ने दिल्ली पर छापा मारा। 10 साल बाद शाह
आलम ने मराठाओ की सहायता से दिल्ली के तख़्त को हासिल कर लिया।
1783 में
सिख मिसल करोरिसिंघिया ने बघेल सिंह धालीवाल के साथ मिलकर दिल्ली और लाल किले को
हासिल कर लिया। लेकिन बाद में सिख शाह आलम को शासक बनाने के लिये राज़ी हो गये और
यह समझौता किया गया की मुगल दिल्ली में सिख गुरुओ के लिये सात गुरुद्वारों का
निर्माण करेंगे।
1803 में
एंग्लो-मराठा युद्ध के दौरान दिल्ली के युद्ध में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने
मराठा सेना को पराजित किया और लाल किले से मराठाओ के शासन को खत्म किया और ईस्ट
इंडिया कंपनी ने लाल किले पर अपना नियंत्रण बनाया।
Lal Kila |
युद्ध के बाद ब्रिटिश ने लाल किले को अपने
अधीन ले लिया और उसे ही अपना निवास स्थान घोषित कर दिया। अंतिम मुगल शासक बहादुर
शाह द्वितीय ने आखिर 1857 की
क्रांति के दौरान किले को हासिल कर ही लिया। लेकिन इतनी विशाल मुगल ताकत होने के बावजूद 1857 के समय मुगल
ब्रिटिशो के खिलाफ लाल किले को नहीं बचा पाये।
मुगल शासन के खत्म होते ही शासन को
ब्रिटिशो ने अपने हाथों में ले लिया। मुगलों ने बनाये मार्बल के महल ही केवल
ब्रिटिशो के अत्याचार से बचे रहे, इनको छोड़कर बाकी सभी मुगल सामग्री को ब्रिटिशो ने
ध्वस्त कर दिया था और किलो की अमूल्य और कीमती धातुओ को क्षति पहुँचाकर उन्हें लूट
कर ले गये। देखा जाये तो किलो के 2/3 आंतरिक भाग को ब्रिटिशो ने ध्वस्त कर दिया
था और किले में केवल अब मनमोहक दीवारे ही बची हुई है।
लेकिन फिर 1899-1905 तक भारत राज
करने वाले लार्ड कर्ज़न ने किलो की और किले की दीवारों की मरम्मत कराने का आदेश
दिया। और साथ ही उन्होंने किलो में बने गार्डन को भी पानी देने का और उनमे सुधार
करने का आदेश दिया।
कहा जाता है की आज भी उनके कीमती सामान
ब्रिटिश लाइब्रेरी और अल्बर्ट म्यूजियम में रखा गया है। उदाहरण कोहिनूर हीरा, शाह जहाँ का
हरे रंग का शराब का कप और बहादुर शाह द्वितीय का ताज लन्दन में रखा गया है।
भारतीयों द्वारा की गयी बहोत सिफ़ारिशो को ब्रिटिश सरकार ने कई बार अमान्य किया है।
1911 में
ब्रिटिश किंग और क्वीन दिल्ली दरबार को देखने आये थे। उन्हें देखने के लिये उस समय
बहोत से महलो और किलो की मरम्मत भी की गयी थी। इसके बाद लाल किले के आर्कियोलॉजिकल
म्यूजियम को भी ड्रम हाउस से मुमताज़ महल में स्थानांतरित किया गया।
आई एन ए की सुनवाई में, जिसे लाल किले
की सुनवाई भी कहा जाता है, उसमे
भारतीय राष्ट्रिय आर्मी (INA) के
बहुत से ऑफिसरो को दरबार और युद्ध संबंधी प्रशिक्षण दिया गया था। पहली बार यह
प्रशिक्षण 1945 में
लाल किले पर नवम्बर और दिसम्बर में लिया गया था।
15 अगस्त
1947 को
भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरु ने लाहौर गेट पर भारतीय तिरंगा लहराया
था तभी से हर स्वतंत्रता दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री लाल किले पर तिरंगा फहराते
है और भाषण भी देते है जिसे राष्ट्रिय तौर पर प्रसारित किया जाता है।
वहीं आजादी के बाद लाल किले का इस्तेमाल सैनिक
प्रशिक्षण के लिए किया जाने लगा और फिर यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रुप में मशहूर
हुआ, वहीं इसके आर्कषण और भव्यता की वजह से
इसे 2007 में विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया
गया था और आज इसकी खूबसूरती को देखने के लिए दुनिया के कोने-कोने से लोग दिल्ली
जाते हैं।
लाल
किला की जानकारी
– Red Fort Information
यहाँ हजारों की संख्या में हर साल लोग आते
है. यह हफ्ते में 6 दिन आम जनता के लिए खुला रहता है सोमवार को
ये बंद रहता है.
लाल किले का समय – Red Fort Timing
·
Red Fort Opening Time – यह सुबह 9:30 बजे खुलता है.
·
Red Fort Closing Time – शाम 4:30 बजे तक खुला रहता है.
Entry Fee of Red Fort-
भारतीयों के लिए लाल किला टिकट की कीमत 35 रुपये और विदेशियों के लिए यह 500 रुपये है।Red Fort Light and Sound Show
यहाँ रोज शाम को लाइट और साउंड शो होता है,
जो मुगलों के इतिहास को दिखाता है. ये लाइट शो पर्यटकों का मुख्य
आकर्षण का केंद्र होता है. यहाँ कुछ महल को बिलकुल पहले की तरह की सजा के रखा गया
है, ताकि लोग हमारी पुरानी संस्कृति को करीब से
जान सके, और इतिहास को भी देख पायें.
Red Fort Light and Sound Show Ticket
लाइट एंड साउंड शो
के लिए लाल किला प्रवेश टिकट वयस्कों के लिए 60 रुपये और
बच्चों के लिए 20 रुपये है।
Red Fort Sound and Light Show Timing
लाल किला में लाइट एंड साउंड शो की टाइमिंग
शाम 7.30 बजे से रात 8.30 बजे
तक है। अंग्रेजी भाषा में दिखाने के लिए, समय 9 बजे से रात 10 बजे
तक है। यह मई से अगस्त के महीने तक होता है। सितंबर और अक्टूबर के महीनों के दौरान,
शो के लिए समय शाम 7 बजे से रात 8 बजे
(हिंदी) और रात 8.30 बजे
से 9.30 बजे (अंग्रेजी) है।
लाल किला का नाम कैसे पड़ा – About Red Fort
मुगल
काल में बने दुनिया के इस सबसे खूबसूरत और भव्य किले के निर्माण में मुगल सम्राट
शाहजहां ने लाल बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल करवाया था, इसलिए इसका नाम लाल किला रख दिया गया।
आपको
बता दें कि लाल किला में मुगल कालीन वास्तुकला का इस्तेमाल कर बेहतरीन सुंदर
नक्काशी की गई थी। जिसके कारण यह देखने में बेहद आर्कषक और सुंदर लगता है।
लाल किले के बारे में रोचक तथ्य – Facts About Red Fort
1. दुनिया के इस सबसे खूबसूरत
किले के नाम भले ही इसके लाल रंग की वजह से मिला हो, लेकिन वास्तव में यह सफेद किला है, वहीं पुरातत्व सर्वेक्षण
विभाग के अनुसार इस ऐतिहासिक किले के कुछ भाग को चूने के पत्थर से बनाया गया है।
2. मुगलकालीन वास्तुकला की इस
सर्वश्रेष्ठ इमारत लाल किले को उस्ताद हामिद और उस्ताद अहमद ने बनाया है, जो कि अपने समय की सबसे
महंगी इमारत थी।
3. लाल किले पर करीब 200 साल तक मुगल सम्राटों का
राज रहा, जबकि
साल 1747 ईसवी में नादिर शाह द्धारा इसे लूट लिया गया था, और फिर भारत में अंग्रेजों
का राज होने पर उन्होंने इसे लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
4.
मुगल सम्राट शाहजहां ने दुनिया के इस सबसे खूबसूरत और भव्य
किले का निर्माण तब करवाया था, जब उसने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली शिफ्ट कर लिया था, वहीं इस भव्य किले का
निर्माण मुर्हरम के महीने में शुरु हुआ था।
5.
दिल्ली के लाल किले के विश्व भर में अपनी एक अलग पहचान है, इसका ऐतिहासिक महत्व होने
के साथ-साथ अपनी भव्यता और शानदार बनावट के लिए भी जाना जाता है।
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