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Qutub Minar | Information, History, Timing, Accident & Facts

कुतुब मीनार - Qutub Minar

By: Faiz Alam

कुतुब मीनार एक सबसे प्रसिद्ध और भारत की सबसे ऊँची मीनारों में से एक है। यह अरबिन्द मार्ग, महरौली पर स्थित है और विश्व धरोहरों में जोड़ी जा चुकी है। यह भारत की दूसरी सबसे ऊँची इमारत है, जिसका निर्माण 1192 में कुतुब-उद्दीन-ऐबक के द्वारा शुरु कराया गया था और बाद में उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश के द्वारा पूरा कराया गया। यह एक शंक्वाकार इंडो-इस्लामिक अफगान स्थापित्व शैली में बनाई गई मीनार है।
दिल्ली को भारत का दिल कहा जाता है, यहाँ पर कई प्राचीन इमारते और धरोहर स्थित है। इन पुरानी और खास इमारतों में से एक इमारत दिल्ली में स्थित है जिसका नाम है क़ुतुब मीनार, जो भारत और विश्व की सबसे ऊँची मीनार है।
क़ुतुब मीनार भारत का सबसे खास और प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। क़ुतुब मीनार दिल्ली के दक्षिण इलाक़े में महरौली में है। यह इमारत हिंदू-मुग़ल इतिहास का एक बहुत खास हिस्सा है। कुतुब मीनार को यूनेस्को द्वारा भारत के सबसे पुराने वैश्विक धरोहरों की सूचि में भी शामिल किया गया है। क़ुतुब मीनार के आस-पास परिसर क़ुतुब काम्प्लेक्स है जो कि यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साईट भी है।

Qutub Minar, Kutubminar
Qutub Minar


1. कुतुब मीनार की उंचाई Length Of Qutub Minar

क़ुतुब मीनार को लाल पत्थर और मार्बल से बनाया गया है। क़ुतुब मीनार की उंचाई 72.5 मीटर है और इसका डायमीटर 14.32 मीटर है। मीनार के अंदर कुल 379 सीढ़ियाँ है, जो कि गोलाई में बनी हुई है।

2. कुतुब मीनार का इतिहास – Qutub Minar History

क़ुतुब मीनार का नाम दिल्ली के सल्तनत कुतुब-उददिन ऐबक के नाम पर रखा गया है क्योंकि उन्ही ने 1199 AD में इसका निर्माण शुरू किया था। उस समय कुतुब-उददिन दिल्ली की सल्तनत के संस्थापक थे। बाद में उत्तराधिकार और पोते इल्तुमिश ने इसमें तीन मीनारों कर निर्माण और करवाया था ।
क़ुतुब मीनार को बनाने वाले इंसान का नाम बख्तियार काकी था जो कि एक सूफी संत था। बताया जाता है कि मीनार का नक्शा तुर्की की भारत में आने से पहले ही बनवाया गया था। लेकिन सबसे अजीब बात तो ये है कि अब तक क़ुतुब मीनार के बारे में भारत के इतिहास में कुछ भी दस्तावेज नहीं मिले हैं। बताया जाता है कि इस मीनार को राजपूत मीनार से प्रेरणा लेकर बनवाया गया था।
क़ुतुब मीनार पर पारसी-अरेबिक और नागरी भाषाओँ में इसके इतिहास के बारे में कुछ अंश दिखाई देते हैं। लेकिन क़ुतुब मीनार के इतिहास को लेकर जो भी जानकारी हैं वो फ़िरोज़ शाह तुगलक (1351-89) और सिकंदर लोदी (1489-1517) से प्राप्त हुई है।
आपको बता दें कि कुतुब मीनार के उत्तर में कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद भी स्थापित है। कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण भी क़ुतुब-उद-दिन ऐबक ने 1192 में करवाया था। यह मस्जिद भारतीय उपमहाद्वीप की काफी पुरानी मस्जिद भी बताई जाती है। इस मस्जिद का निर्माण करवाने के बाद फिर इल्तुमिश (1210-35) और अला-उददिन ख़िलजी ने इस मस्जिद का विकास करवाया।
जब 1368 ईस्वी में बिजली गिरने की वजह से क़ुतुब मीनार का ऊपरी भाग टूट गया था लेकिन बाद में फ़िरोज़ शाह इसका फिर से निर्माण करवाया। इसका पुनर्निर्माण करवाने के साथ ही फिरोज शाह ने सफेद मार्बल से दो और मंजिलो को बनवाया। लेकिन इसके बाद 1505 में एक बड़े भूकम्प आने की वजह से क़ुतुब मीनार को भारी नुकसान हुआ और भूकंप में जो भी क्षति हुई थी उसकी मरम्मत सिकंदर लोदी ने करवाई।
लेकिन यह सिलसिला यहीं तक नहीं रुका इसके बाद 1 अगस्त 1903 को भी एक बड़ा भूकंप आया और एक बार फिर क़ुतुब मीनार को फिर से बड़ी क्षति पहुंची। लेकिन साल 1928 में ब्रिटिश इंडियन आर्मी के मेजर रोबर्ट स्मिथ ने इसकी मरम्मत करवाई इसके साथ ही उन्होंने क़ुतुब मीनार के ऊपर एक गुम्बद भी बनवा दिया, लेकिन बाद में पाकिस्तान गवर्नल जनरल लार्ड हार्डिंग ने इस गुम्बद को हटवा दिया था और उसे क़ुतुब मीनार के पूर्व में स्थापित करवा दिया।
मीनार का निर्माण बहुत समय पहले लाल बलुआ पत्थरों और संगमरमर का प्रयोग करके किया गया था। इसमें बहुत से बाहरी किनारे और बेलनाकार या घुमावदार रास्ते हैं और इसकी बालकनियाँ इसकी मंजिलों को अलग करती हैं। कुतुब मीनार की पहली तीन मंजिलों का निर्माण लाल बलुआ पत्थरों का प्रयोग करके हुआ है हालांकि, चौथी और पाँचवीं मंजिल का निर्माण संगमरमर और बलुआ पत्थरों से हुआ है।
इस मीनार के आधार में एक कुव्वत-उल-इस्लाम (जिसे भारत में निर्मित पहली मस्जिद माना जाता है) मस्जिद है। कुतुब परिसर में 7 मीटर की ऊँचाई वाला एक ब्राह्मी शिलालेख के साथ लौह स्तंभ है। मीनार की दिवारों पर कुरान (मुस्लिमों का पवित्र पौराणिक शास्त्र) की बहुत सी आयतें भी लिखी गई हैं। यह देवनागरी और अरेबिक रुप में लिखे अपने इतिहास को भी रखता है।

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3. कुतुब मीनार की शोभा

कुतुब मीनार के चारों ओर एक आकर्षक हरा बगीचा है, जो आगन्तुकों के ध्यान को खींचता है। यह भारत के सबसे प्रसिद्ध और आकर्षक पर्यटन स्थलों में से एक है। यह भारत का सबसे अधिक देखा जाने वाला स्मारक हैजिसे देखने के लिए पूरी दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं। यह 14.3 मीटर के आधार व्यास और 2.7 मीटर के शीर्ष व्यास वाली सबसे अलग शैली में निर्मित पाँच मंजिल (इसकी पहली तीन मंजिल लाल बलुआ पत्थरों का प्रयोग करके और ऊपर की दो मंजिल संगमरमर और बलुआ पत्थर का उपयोग करके बनाई गई है) की मीनार है।
कुतुब मीनार से सटी हुई एक और लम्बी मीनार अलाई मीनार है। कुतुब मीनार इस्लाम की विजय और ताकत के प्रतीक के साथ ही कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद में प्रार्थना करने के लिए लोगों को बुलाने की सेवा का कार्य करने का भी प्रतीक है। यह दिल्ली में आकर्षक पर्यटक गंतव्य है और इसका गर्मियों व सर्दियों की छुट्टियों में सबसे अधिक बच्चों और विद्यार्थियों द्वारा दौरा किया जाता है।

4. कुतुब मीनार इमारत की मंजिलें

यह 72.5 मीटर लम्बी, 14.3 मीटर आधार व्यास, 2.7 मीटर शीर्ष व्यास, 379 सीढ़ियाँ और पाँच मंजिल वाली मीनार है। प्राचीन काल में इस इमारत की सात मंजिलें थी। जिनमें से अब केवल 5 मंजिले शेष है। पाँचवीं मंजिल से दिल्ली का शहरी दृश्य भली-भांति देखा जा सकता है।

5. Interesting Facts about Qutub minar-

·       थोड़ा सा झुका हुआ
भारत की यह सबसे उँची इमारत बिल्कुल सीधी नहीं खड़ी है, बल्कि थोड़ी सी झुकी हुई है, जिसका कारण है इस इमारत में कई बार मरम्मत का काम होना।
·       सबसे उँची इमारत
भारत की सबसे उँची इमारत होने के साथ-साथ यह विश्व की भी इंटों से निर्मित सबसे उँची इमारत है।
·       इसकी सीढ़ियाँ
इमारत के अंदर लगभग 379 सीढ़ियाँ हैं, जो इमारत की उँचाई तक हैं।
·       इसके शिलालेख
मीनार में कई अरबी और नागरी लिपि में शिलालेख हैं, जो इसके इतिहास को बयान करते हैं।
·       लोहे का खंभा
क़ुतुब मीनार के परिसर में ही एक लोहे का ख़भा है, जिसमें अब तक 2000 सालों बाद भी जंग नहीं लगी है।
·       क्षतिग्रस्त मीनार
फिरोज शाह तुगलक के शासन के दौरान, मीनार के दो शीर्ष बिजली के कारण क्षतिग्रस्त हो गए थे लेकिन फिरोज शाह द्वारा फिर से उनकी मरम्मत करवाई गयी। सन् 1505 में, मीनार भूकंप से क्षतिग्रस्त हो गया था जिसकी मरम्मत सिकंदर लोदी ने करवाई थी।
·       इसकी वास्तुकला
कुतुबमीनार को लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है, जिस पर कुरान की आयतें लिखी हुई है। पत्थरों पर फूल बेलों की महीन नक्काशी की गई है। कुतुब मीनार की पहली तीन मंजिले लाल बलुआ पत्थर से बनाई गई है। चौथी और पांचवी मंजिल संगमरमर और बलुआ पत्थर से बनाई गई है। कुतुब मीनार की नीचे वाली मंजिल में कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद बनी है। यह भारत की पहली मस्जिद मानी जाती है।

6. कुतुब मीनार की टाइमिंग

कुतुब मीनार में हफ्तेभर एंट्री होती है और इसकी टाइमिंग सुबह 6 बजे से शाम के 6 बजे तक है।

7. कुतुब मीनार में प्रवेश शुल्क

भारतीयों के लिए 30 रूपये और विदेशियों के लिए 500 रुपये प्रति व्यक्ति है.

8. दुर्घटना

1974 के पहले क़ुतुब मीनार में पर्यटक ऊपरी भाग तक जा सकते थे। 4 दिसंबर 1981 को सीढ़ियों पर लगी बत्तियाँ खराब हो गई। उस समय वहां पर 300 से 450 पर्यटक मौजूद थे। पर्यटकों के बीच भगदड़ मच गई। सभी कुतुब मीनार से बाहर निकलना चाहते थे। ऐसे में 47 पर्यटकों की मौत हो गई। उनमें से कई स्कूल के बच्चे थे। उसके बाद से कुतुब मीनार के भीतर(अन्दर) जाना मना है।

9. ऐसे पहुंचे कुतुब मीनार

कुतुब मीनार का नजदीकी मेट्रो स्टेशन कुतुब मीनार है, जो यलो लाइन के ज़रिए समयपुर बादली, दिल्ली से गुड़गांव के हुडा सिटी सेंटर से जुड़ा है। कुतुब मीनार मेट्रो स्टेशन पहुंचकर पर्यटक, सड़क की दूसरी तरफ से डीटीसी बस नंबर 539 और 715 ले सकते हैं। नॉन ऐसी बस में किराया 5 रुपये तक है, जबकि ऐसी बस में 10 रुपये।

इसके अलावा जो भी बसें महरौली की तरफ जाती हैं, वे सभी कुतुब मीनार से होकर गुज़रती हैं। आप चाहें तो बस पकड़कर भी कुतुब मीनार जा सकते हैं। ऑटो के ज़रिए भी कुतुब मीनार जाया जा सकता है।

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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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